à¤à¤• बार अपनी साधना में कठोर, दृढ़ निशà¥à¤šà¤¯à¥€ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी का सनॠ1982 कारंजा (महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°) काषà¥à¤ ा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में अचानक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ खराब हो गया था तब अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤† संयम की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने हेतॠतपेदिक ने पैर जमाये है। फलत: न तो कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी आहार करते, न ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› रà¥à¤šà¤¤à¤¾, दिन-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ कमजोरी बढ़ती जा रही थी, डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ ने साफ हिदायत दे दी कि अब आपको न तो अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ अधिक करना है न ही कोई मेहनत, मातà¥à¤° आराम करना है। संयम पथ पर अडिग कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी लेटे-लेटे ही सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ तथा सà¤à¥€ के आगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° आराम à¤à¥€ करना पड़ता, परनà¥à¤¤à¥ लगातार काषà¥à¤ के पाटे पर लेटे-लेटे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तकलीफ होती थी, यह देख à¤à¤• à¤à¤•à¥à¤¤ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• महाराज के पास आया, बोला-महाराज! आपको काषà¥à¤ का पाटा तकलीफ देता है मैं आपके लिठकपास का गटà¥à¤ ा लाता हूठजिससे तकलीफ नहीं होगी। अलà¥à¤ªà¤µà¤¯à¥€ परनà¥à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वृदà¥à¤§ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी अपने तेजसà¥à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤° में बोले - यह मोकà¥à¤· पथ वैरागà¥à¤¯ का पथ है, आराम का नहीं, कषà¥à¤Ÿ सहूà¤à¤—ा तà¤à¥€ तो संवर व निरà¥à¤œà¤°à¤¾ होगी, यदि आराम करना होता तो मैं घर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ छोड़ता? शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही उस à¤à¤•à¥à¤¤ का मन कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी की दृढ़ता देख अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो गया, धनà¥à¤¯ थी आपकी दृढ़ता जो आपके उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का परिचय दे गयी।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )