कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• अवसà¥à¤¥à¤¾ में पà¥à¤°à¤¥à¤® चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ 1980 दà¥à¤°à¥à¤— की घटना है जब पू. कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र जी प.पू. आ. शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿à¤¸à¤¾à¤—र की छतà¥à¤°à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤°à¤¤ थे। à¤à¤• बार पू. आ. शà¥à¤°à¥€ ने छोटे से कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी को। à¤à¤• नैतिक शिकà¥à¤·à¤¾ पूरà¥à¤£ à¤à¤• कहानी की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• पढ़ने के लिठदी। वे रोज उसको पढ़ते थे, à¤à¤• दिन किसी बचà¥à¤šà¥‡ ने उसे देखा, तो उसका मन पढ़ने का हो गया, उसने कà¥à¤·à¥. जी से पढ़ने पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• माà¤à¤—ी, कà¥à¤·à¥. जी ने à¤à¥€ पढ़ने दे दी, पर हà¥à¤† कà¥à¤¯à¤¾ कि- वह उसे अपने घर ले गया, और कà¥à¤·à¥. जी à¤à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• विषयक वारà¥à¤¤à¤¾ को à¤à¥‚ल गये। पर à¤à¤•दिन पू.आ. शà¥à¤°à¥€ का आहार उस बचà¥à¤šà¥‡ के यहाठहà¥à¤†, तो मैना बाई ने आहारोपरांत उस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को देखा, और देखते ही पहचान गई कि यह तो महाराज की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लाकर पू.आ. शà¥à¤°à¥€ को जमा कर दी, पू.आ. शà¥à¤°à¥€ ने कहा- यह तो मैंने पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र को दी थी वहाठकैसे पहà¥à¤à¤šà¥€à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤°à¤‚त कà¥à¤·à¥. जी को पà¥à¤•ारा तथा कहा, मैंने जो पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• दी थी वह कहाठहै, सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही कान खड़े हो गये, डरते हà¥à¤ गलत बोल गये, वहाठरखी है, तो पू. आ. शà¥à¤°à¥€ बोले- अचà¥à¤›à¤¾ वहाठहै तो उठाकर लाओ। अब तो कà¥à¤·à¥. जी पसीना-2, पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• होती तो लाते, तà¥à¤°à¤‚त उस बचà¥à¤šà¥‡ को बà¥à¤²à¤µà¤¾à¤¯à¤¾, उसने मना कर दिया। अब तो परीकà¥à¤·à¤¾ की घड़ी, पू. आ. शà¥à¤°à¥€ ने गंà¤à¥€à¤° सà¥à¤µà¤° में कहा- संघ में किसी वसà¥à¤¤à¥ का आदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾-हाथों से होता है सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से नहीं। कà¥à¤·à¥. जी की तो गंगा-यमà¥à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥, अपनी पà¥à¤°à¤¥à¤® और जिंदगी की अनजानता में अंतिम गलती की कà¥à¤·à¤®à¤¾ माà¤à¤—ी, तथा कहा अब à¤à¤¸à¤¾ काम नहीं करूà¤à¤—ा। तो पू.आ. शà¥à¤°à¥€ ने कà¥à¤·à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर आशीष दे दिया।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )