1980 का पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र जी का अपने गà¥à¤°à¥à¤µà¤° परम पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿ सागर जी के साथ जो नई-नई अनà¥à¤à¥‚तियों,शिकà¥à¤·à¤¾à¤“, अनà¥à¤à¤µà¥‹ से पूरित था । शà¥à¤°à¥à¤¤à¤ªà¤‚चमी परà¥à¤µ के दिन पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने कहा -कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ आज से इस डायरी में चिंतन लिखना है। à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी बोले - ये चिंतन कà¥à¤¯à¤¾ होता है? कैसे लिखा जाता है, आप बता दीजिठतो मैं लिख दूंगा। पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤•à¤œà¥€ की बातें सà¥à¤¨à¤•à¤° हंस दिठबोले मैं बता दूंगा, तो फिर वह मेरा चिंतन होगा, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ नहीं । आज से ही लिखना मेरी आजà¥à¤žà¤¾ है । गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ गरीयसी कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤•à¤œà¥€ को चिंतन लिखना तो मानो à¤à¤• पहाड़ तोड़ने जैसा कठिन कारà¥à¤¯ लग रहा था फिर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने, पà¥à¤°à¤¥à¤® दिन डायरी में अपनी पूरी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ लिख दी गà¥à¤°à¥à¤µà¤° को दिखाया कि चिंतन देख लीजिठदेखा तो मन ही मन मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¯à¥‡ बोले अà¤à¥€ ठीक नहीं और अचà¥à¤›à¤¾ लिखो । शने: शने: कà¥à¤› दिन तक अपनी गलतियाठलिखते गये, फिर सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ में अचà¥à¤›à¥‡ लगे पॉइंट, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ को, पर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ कि जब à¤à¥€ पर डायरी दिखाते तो गà¥à¤°à¥à¤µà¤° यही कहते और अचà¥à¤›à¤¾ लिखो। à¤à¤• दिन कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤•à¤œà¥€ ने गà¥à¤°à¥à¤µà¤° से पूछा - आप हमेशा यही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कहते हैं कि अचà¥à¤›à¤¾ लिखो, पहले की अपेकà¥à¤·à¤¾ तो मैं अब अचà¥à¤›à¤¾ ही लिखता हूं। तो वे बोले- यदि मैं तà¥à¤®à¤•à¥‹ पà¥à¤°à¤¥à¤® दिन के चिंतन से ही उसे अचà¥à¤›à¤¾ कह देता तो तà¥à¤® उससे अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लिखते, उतने में सीमित रह जाते। इसी कारण आज तà¥à¤® इतना अचà¥à¤›à¤¾ लिख सकें। वे इस रहसà¥à¤¯ को सà¥à¤¨à¤•à¤° अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤
कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• अवसà¥à¤¥à¤¾ में लिखे गये वे हीं चिंतन आज चेतनà¥à¤¯ चिंतन à¤à¤¾à¤— 1-2 पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का रूप लेकर साधकों को संबल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर रहे हैं |
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )