अरविनà¥à¤¦ बचपन से ही पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कला में पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£, कà¥à¤¶à¥€à¤² थे चाहे वह चितà¥à¤°à¤•à¤²à¤¾ हो, या मिटà¥à¤Ÿà¥€ के खिलौने बनाने की आदि । जब वे मातà¥à¤° 8-9 वरà¥à¤· के थे तब वे घर में à¤à¤•à¤¦à¤¿à¤¨ à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ सजा रहे थे । उसमे पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के लिठलाइट à¤à¥€ लगाई किनà¥à¤¤à¥ लाइट नहीं चली तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बलà¥à¤¬ निकालकर होलà¥à¤¡à¤° खोला तो देखा की उसका à¤à¤• तार टूटा है और यह à¤à¥‚ल गये की थà¥à¤°à¥€à¤ªà¤¿à¤¨ पà¥à¤²à¤— में लगा और लाइन चालू है तथा मै लोहे की पेटी पर खड़ा हूठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जैसे ही वायर पकड़ा तो जोर से करंट लगा और वे दूर जाकर गिरे, बेहोश हो गये । पिताजी ने जैसे ही अरविनà¥à¤¦ की चीख à¤à¤°à¥€ आवाज सà¥à¤¨à¥€ तो वैसे ही दौड़े आये, देखा अरविनà¥à¤¦ बेहोश पड़ा है । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शीघà¥à¤°à¤¤à¤¾ से उठाया और बेंच पर लिटाया । थोड़ी देर बाद अरविनà¥à¤¦ ने आंखे खोली , आस पास à¤à¥€à¥œ देख पिताजी ने पूछा-अरविनà¥à¤¦ कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† । तो बोले कà¥à¤› नहीं नींद लग गई थी । उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ ही नहीं था की मà¥à¤à¥‡ करंट लग गया है । तब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद दिलाया मितà¥à¤°à¥‹ ने की तà¥à¤® à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ सजा रहे थे न । तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आले की और à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ को देखो - तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद आया | तब पिताजी ने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ की - कà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ वायर को मत पकड़ना । न ही ये à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ का खेल खेलना ।वे तब कà¥à¤› à¤à¥€ उतर न दे सके । कà¥à¤¯à¥‚ंकि à¤à¤¾à¤à¤•à¤¿à¤¯à¤¾ सजाना उनका पà¥à¤°à¤¿à¤¯ कारà¥à¤¯, शौक था ।
à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में वे ही मिटà¥à¤Ÿà¥€ की à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ सजाने वाले अरविनà¥à¤¦ अनेक चेतन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जीवन की à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ सजाने वाले à¤à¤• महान आचारà¥à¤¯ बन गये
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )