पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° जब थे सनॠ1984 में मà¥à¤¨à¤¿ अवसà¥à¤¥à¤¾ में, तब मà¥à¤¨à¤¿ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त सागर जी à¤à¥€ थे साथ विहार चल रहा था विजय नगर से। मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की चरà¥à¤¯à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अपना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ छोड़ती थी, हर à¤à¤• पर, à¤à¤• दिन à¤à¤• पटेल साहब जिनका हटà¥à¤Ÿà¤¾ कटà¥à¤Ÿà¤¾ शरीर था, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आकर सà¥à¤¨à¤¾ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨, वैरागà¥à¤¯ वरà¥à¤§à¤• उस उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ को सà¥à¤¨ उनका हृदय परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो गया ओर आकर मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ के चरणों में माथा टेक पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की, हे पूजà¥à¤¯à¤µà¤°! मैं आपके संघ में शामिल होना चाहता हूà¤, गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने सोचा - à¤à¤¾à¤µà¥à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¥€ हो सकती है अत: कहा हाà¤-हाठदेखेंगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लगà¤à¤— 20-25 बार पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की, मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने उनका परिचय लिया और कहा - यह मारà¥à¤— बहà¥à¤¤ कठिन है, अत: पातà¥à¤°à¤¤à¤¾ की परीकà¥à¤·à¤¾ देनी होगी।
मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की आजà¥à¤žà¤¾ को शिरोधारà¥à¤¯ कर साथ हो गये, वे à¤à¤• ही बार à¤à¥‹à¤œà¤¨ करते व à¤à¤• ही बार पानी लेते, तीनों समय की डेढ़-डेढ़ घंटे तक सà¥à¤¥à¤¿à¤° आसन से सामायिक, नंगे पैर विहार तथा रातà¥à¤°à¤¿ में सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ चल रही थीं, सà¤à¥€ संघ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ था उनकी चरà¥à¤¯à¤¾ से। मà¥à¤¨à¤¿ संघ अतिशय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥€à¤²à¤µà¤¾à¤¡à¤¼à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ गया तथा लौटकर आया पà¥à¤¨à¤ƒ विजयनगर, तब तक करीब 8-10 दिन पटेल साहब को संघ में रहते हो गये ।
जब वैरागà¥à¤¯ होने का समाचार जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† उनके कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¥€ à¤à¤µà¤‚ परिवार जनों को, लगà¤à¤— 20-25 लोग आ गये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पटेल जी को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ फिर मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ के पास पहà¥à¤à¤šà¥‡ तथा बोले-महाराज ये धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ के शà¥à¤°à¥ से है, परनà¥à¤¤à¥ अà¤à¥€ इनकी à¤à¤°à¥€-पूरी गृहसà¥à¤¥à¥€ है, छोटे छोटे बचà¥à¤šà¥‡ हैं, जवान कà¥à¤‚वारी लड़की है, à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ मैं कà¥à¤¯à¤¾ घर छोड़ना उचित है?
मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने दूर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से विचार किया और पटेल साहब को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ - वैरागà¥à¤¯ मारà¥à¤— पर आपको पà¥à¤°à¤¥à¤® परीकà¥à¤·à¤¾ यही देना है कि घर जाइठऔर पहले अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरà¥à¤£ करके आइà¤à¥¤ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की आजà¥à¤žà¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर वे घर चल दिये।
मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ चरà¥à¤¯à¤¾ की à¤à¤²à¤• को देख पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थे सà¤à¥€ जैन-जैनेतर। पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ आज à¤à¥€ जहाठअपने चरण बढ़ाते है वहाठजैन हो नहीं जैनेतरों को à¤à¥€ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर लेते हैं अपनी विलकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ से और जोड़ देते हैं धरà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤§à¤¨à¤¾ से। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि संत का लकà¥à¤·à¤£ यही है कि जो किसी जाति-समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से बंधा न होकर पà¥à¤°à¤¾à¤£ मातà¥à¤° का होता है। जैसे नदी के बहते हà¥à¤ जल पर सबका अधिकार है, उगते हà¥à¤ सूरà¥à¤¯ की किरणें सà¤à¥€ के लिठहैं, वृकà¥à¤· की शीतल छांव सà¤à¥€ के लिठहै वैसे ही हमारे गà¥à¤°à¥à¤µà¤° की धरà¥à¤®à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¨ रूपी छांव à¤à¤µà¤à¥à¤°à¤®à¤£ की तपन से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤²à¤¿à¤¤ हर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ के लिठहै।