पà¥à¤£à¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ विराग सागर जी जय मà¥à¤¨à¤¿ अवसà¥à¤¥à¤¾ में थे तब पà¥à¤°à¤¥à¤® बार गà¥à¤°à¥ से दूर मà¥à¤¨à¤¿ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सागर जी के साथ धरà¥à¤® धà¥à¤µà¤œà¤¾ को लहराते हà¥à¤ गाने 1984 में विराजे थे à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र की पावन वसà¥à¤¨à¥à¤§à¤°à¤¾ पर। नवीन दीकà¥à¤·à¤¾, नया उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और जेठमाह की पà¥à¤°à¤šà¤£à¥à¤¡/à¤à¥€à¤·à¤£ तपन। फिर कà¥à¤¯à¤¾? पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤† उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ साधना का कà¥à¤°à¤®, मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ कहाठहै? वे तो सà¥à¤°à¥à¤¯ की तरफ मà¥à¤– कर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर रहे हैं मानो चतà¥à¤°à¥à¤¥ काल ही पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हो रहा हो। लौकिक सूरà¥à¤¯ तो तपाता है पर पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को परनà¥à¤¤à¥ ये निसà¥à¤ªà¥ƒà¤¹à¥€ संत तो तपा रहे थे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपनी आतà¥à¤®à¤¾ को तपसà¥à¤¯à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से। पर ये कà¥à¤¯à¤¾! धूप में से आने के बाद आà¤à¤–ों के आगे छा जाती अंधियारी। परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤ˆ आà¤à¤–ों में जलन। साधना का कà¥à¤°à¤® चला लगà¤à¤—1 माह तक आà¤à¤–ों की तकलीफ बढ़ती गयी और डॉकà¥à¤Ÿà¤° ने सलाह दी चशà¥à¤®à¥‡ की, जब यह बात जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆ गà¥à¤°à¥ à¤à¤¾à¤¤ उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¤°à¤¤ सागर जी को, तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बड़े हितकारी बात कही- हम साधना करने हेतॠही मोकà¥à¤· मारà¥à¤— पर आये हैं अत: साधना तो करनी ही चाहिठपरनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ व शकà¥à¤¤à¤¿ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ ताकि à¤à¤¾à¤µà¥€ समय में à¤à¥€ साधना निरà¥à¤µà¤¿à¤˜à¥à¤¨ रूप में अनवरत चलती रहे।
मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने गà¥à¤°à¥ à¤à¤¾à¤ˆ के महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•ारी मधà¥à¤° वचनों को हदय में अंकित कर लिया और उसी पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ को संचारित à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ है हम सà¤à¥€ में।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )