औरंगाबाद के गरिमा मंडित इतिहास में वह पावन दिवस था 9 दिसमà¥à¤¬à¤° 1983 का, जबकि निमितà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ 108 विमल सागर जी महाराज ने अलà¥à¤ªà¤µà¤¯à¥€ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी महाराज को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की थी दिगंबर मà¥à¤¨à¤¿ दीकà¥à¤·à¤¾, हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•गण देख रहे थे इस पावन पà¥à¤¨à¥€à¤¤ दृशà¥à¤¯ को, तà¤à¥€ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° विमल सागर जी महाराज ने नवयà¥à¤µà¤¾ दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घोषणा करते हà¥à¤ कहा -आज से ये मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ 108 विराग सागर जी महाराज के नाम से 46 विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ होंगे, इनकी चरà¥à¤¯à¤¾ देशà¤à¤° में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ जमायेगी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ औरंगाबाद की पवितà¥à¤° à¤à¥‚मि सदा संबल देगी और आज से औरंगाबाद की सीमाà¤à¤‚ मिलकर à¤à¤• समगà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में परिणत हो जावेंगी। जैसा मैं आज इन यà¥à¤µà¤¾ मà¥à¤¨à¤¿ को देख रहा हूठये इसी तरह पà¥à¤°à¤–र रहेंगे और 15-20 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद मà¥à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ अधिक खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे। ये अपनी सरलता और विनयशीलता के कारण अपने समकालीन समसà¥à¤¯à¤¾ दिगंबर मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अधिक यश पायेंगे। à¤à¤¸à¥‡ शिषà¥à¤¯ को दीकà¥à¤·à¤¾ देने से मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤µà¤¤: जो खà¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ है वह वरà¥à¤£à¤¨à¤¾à¤¤à¥€à¤¤ है। मेरा आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ आज तो इनके साथ है ही और मेरे न होने पर à¤à¥€ रहेगा।
गà¥à¤°à¥ मà¥à¤– से निकले ये आशीष वचन शिषà¥à¤¯ के जीवन में बने अमोघ मंतà¥à¤°à¥¤ धनà¥à¤¯ है वह शिषà¥à¤¯ जिसने पाया गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯ और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ गà¥à¤°à¥ की वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯ छाया जिसे मिल गयी हो उसे उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का उचà¥à¤šà¤¤à¤® शिखर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाठतो कà¥à¤¯à¤¾ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ ?
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )