सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठहोते ही पà¥à¤£à¥à¤¯ घड़ियाठआई मà¥à¤¨à¤¿ दीकà¥à¤·à¤¾ की और प.पू. आ. शà¥à¤°à¥€ विमल सागर जी ने जब अपने निमितà¥à¤¤à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ से à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ कर दी कि तेरी दीकà¥à¤·à¤¾ मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही होगी तथा à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ बलवती हà¥à¤ˆ पू. कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र जी की। चूà¤à¤•ि कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ नाजà¥à¤• था इसलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पू.आ. शà¥à¤°à¥€ के समकà¥à¤· à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखी कि आप बहà¥à¤¤ विहार करते हैं, पर मà¥à¤à¤¸à¥‡ यह संà¤à¤µ नहीं। तो वे बोले- मà¥à¤à¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ है अत: तà¥à¤® दो लोग सदैव साथ रहना, à¤à¤•लविहारी मत होना, कà¥à¤› समय के बाद पृथक विहार कर लेना। यह बात बन गई, फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा- à¤à¤• बात और है। वे बोले- वह कà¥à¤¯à¤¾? कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने कहा कि संघ में शूदà¥à¤°à¤œà¤² तà¥à¤¯à¤¾à¤— करवाया जाता है पर मेरी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रहती है कि नई पीढ़ी à¤à¥€ धरà¥à¤® से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡, धरà¥à¤®-कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सीखे परनà¥à¤¤à¥ यह तà¤à¥€ संà¤à¤µ होगा कि जब आप मà¥à¤à¥‡ शूदà¥à¤° जल तà¥à¤¯à¤¾à¤— के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कराकर आहार लेने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे। पू. गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने सà¥à¤¨à¤¾ तो मà¥à¤¸à¥à¤•रा गये- बोले यह नहीं हो सकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह तो पू.आ. महावीर कीरà¥à¤¤à¤¿ महाराज की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ है, उसमें परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं कर सकता। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने कहा पू.आ. शà¥à¤°à¥€ मेरा शà¥à¤°à¥ से सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ रहा है कि मैं कà¤à¥€ गà¥à¤°à¥ से छल नहीं करूà¤à¤—ा, इसलिठमैंने अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ आप शà¥à¤°à¥€ के चरणों में पà¥à¤°à¤•ट कर दी। 2-3 दिन हो गये, पर बात नहीं बनी। तब चितà¥à¤°à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ ने उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ शà¥à¤°à¥€ à¤à¤°à¤¤ सागर को मनाया कहा कि देखो वह छोटा कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• सही तो कह रहा है शूदà¥à¤° जल तà¥à¤¯à¤¾à¤— के कारण चौके में मातà¥à¤° बूढ़े-पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लोग रहते हैं à¤à¤¸à¤¾ रहा तो नई पीढ़ी तो धरà¥à¤® संसà¥à¤•ारों को à¤à¥‚लती जाà¤à¤—ी। और फिर वह à¤à¥‚ठतो नहीं बोल रहा, कà¥à¤› लोग तो यहाठसे नियम ले लेते और बाहर जाकर अपने अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चलने लगते हैं। अब तो पू. उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ शà¥à¤°à¥€ का à¤à¥€ शोरà¥à¤¸ लग गया। पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ चितà¥à¤°à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ और उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ शà¥à¤°à¥€ ने पू. आ. शà¥à¤°à¥€ से कहा कि हमें कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी की वारà¥à¤¤à¤¾ पर विचार करना चाहिà¤à¥¤ तो बोले- कà¥à¤¯à¤¾ विचार करना चाहिà¤, à¤à¤¸à¥‡ तो हमारी गà¥à¤°à¥ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ ही बिगड़ जाà¤à¤—ी, आज à¤à¤• को छूट दूंगा तो दूसरे à¤à¥€ अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करने लगेंगे। उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ शà¥à¤°à¥€ बोले- कोई नहीं करेंगे और फिर कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• शà¥à¤°à¥€ जब तक संघ में रहेंगे तो वे à¤à¥€ इसी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का पालन करेंगे, मातà¥à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाहर की छूट है। न मालूम कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का कà¥à¤¯à¤¾ तीवà¥à¤° पà¥à¤£à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ आया कि बिगड़ी बात बन गई। पू.आ. शà¥à¤°à¥€ सहमत हो गये और दीकà¥à¤·à¤¾ पकà¥à¤•ी। दीकà¥à¤·à¤¾ हà¥à¤ˆ और कà¥à¤› समय बाद दà¥à¤µà¤¯ मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥€ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त सागर जी à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ विराग सागर जी का पृथकॠविहार हो गया। जब कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद आ. शà¥à¤°à¥€ विमलसागर जी से पू. गà¥à¤°à¥à¤µà¤° का मिलन हà¥à¤† तब तक संघ में 8-10 पिचà¥à¤›à¤¿à¤§à¤¾à¤°à¥€ साधॠतथा 4-5 बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ à¤à¤ˆà¤¯à¤¾ जà¥à¤¡à¤¼ गये थे। पू.आ. शà¥à¤°à¥€ विमलसागर जी ने छोटे-छोटे उमà¥à¤° वाले साधà¥à¤“ं को देखा तो अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤¯à¥‡ बोले-विराग सागर जी तà¥à¤®à¤¨à¥‡ तो बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ काम किया ये कि छोटे-छोटे नवयà¥à¤µà¤•ों को à¤à¥€ आतà¥à¤®à¤•लà¥à¤¯à¤¾à¤£ के पथ पर लगा दिया। तब पू. गà¥à¤°à¥à¤µà¤° बोले- पू. आ. शà¥à¤°à¥€ यह सब आपके आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ तथा आजà¥à¤žà¤¾ का फल है। यदि आप उस समय रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ तà¥à¤¯à¤¾à¤— की आजà¥à¤žà¤¾ न देते तो यह संà¤à¤µ नहीं होता। यह सब 1 माह रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ तà¥à¤¯à¤¾à¤— का चमतà¥à¤•ार है कि ये धीरे-धीरे महानवà¥à¤°à¤¤à¥‹à¤‚ के धारण की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बना सके।
पू.आ. शà¥à¤°à¥€ विमलसागर जी का सहज ही पू. गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के सिर पर आशीष à¤à¤°à¤¾ वरदहसà¥à¤¤ रखा गया वे बोले, तà¥à¤® अपनी सरलता, विनय, चà¥à¤¯à¤¾, कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के कारण खूब धरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ करोगे। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में वही आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ फलीà¤à¥‚त है कि पू. गà¥à¤°à¥à¤µà¤° सà¥à¤µ के साथ परकलà¥à¤¯à¤¾à¤£ धरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ में संलगà¥à¤¨ है।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )