गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ सदा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पदारà¥à¤¥ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ पर ही टिकी रहती है। पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग है सनॠ1983 का, गà¥à¤£-गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•ता के à¤à¤¾à¤µ को मन में संजोने वाले कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी के गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ से कदम बढ़ रहे थे - तीरà¥à¤¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पावापà¥à¤° की ओर। पà¥à¤°à¤•ृति का वह मनोहारी दृशà¥à¤¯ जिसकी रमणीयता अकथनीय थी, शौच के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ किसी खेत की मेढ़ से गà¥à¤œà¤° रहे थे, तब जल मंदिर की शोà¤à¤¾ का अवलोकन करते हà¥à¤ तथा तालाबों में पड़ रहे जिनबिमà¥à¤¬à¥‹à¤‚ का दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी शीघà¥à¤°à¤¤à¤¾ से आगे बढ़ रहे थे। अचानक किसी आहट को पाकर सावधान हà¥à¤ देखा तो सामने फण फैलाठबड़ा à¤à¤¾à¤°à¥€ सरà¥à¤ª है, साथ चल रहे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• ने कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी को à¤à¤Ÿà¤•े से खींचा। सरà¥à¤ª ने जोर से फण जमीन पर पटका और उचट कर खेत में कूद पड़ा। कई बार लौट-2 कर देखता रहा तब शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• ने कहा महाराज शà¥à¤°à¥€! आप à¤à¤• कदम और आगे बढ़ाते तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ उस सरà¥à¤ª के कà¥à¤°à¥‹à¤§ का à¤à¤¾à¤œà¤¨ बनना पड़ता। निरà¥à¤à¥€à¤•, निडर कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी बोले -अरे, तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता नहीं वह सरà¥à¤ª तो मà¥à¤à¥‡ काटने नहीं अपितॠशिकà¥à¤·à¤¾ देने आया था कि कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ईरà¥à¤¯à¤¾ समिति से चलिये। यहाठवहाठदेखते हà¥à¤ नहीं चलना चाहिठऔर मंदिर आदि यदि देखना ही है तो चलते-चलते नहीं खड़े होकर देखना चाहिà¤à¥¤ इधर-उधर देखते हà¥à¤ चलोगे तो अहिंसा वà¥à¤°à¤¤ में दोष लगेगा तथा करà¥à¤® रूपी सरà¥à¤ª डसने के लिठतैयार ही है। उसने मà¥à¤à¥‡ अचà¥à¤›à¥€ और सही दिशा दी है अत: वह तो मेरा बड़ा उपकारी था । जो मà¥à¤à¥‡ मेरे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का à¤à¤¾à¤¨ करा कर चला गया। यह है गà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿, इसी गà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•ता के कारण ही पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° महानता को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ हैं।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश ) )