दूसरे के मनोà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को सहजता से समà¤à¤¨à¥‡ वाले विशाल हृदय कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी सनॠ1982 में विहार करते हà¥à¤ पहà¥à¤à¤šà¥‡ परà¤à¤£à¥€ (महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°)। समय था आहार चरà¥à¤¯à¤¾ का, लोगों के मन में शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ परंतॠपड़गाहन आदि कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž थे। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ धारण की और निकल पड़े आहार चरà¥à¤¯à¤¾ को, लोगों में हलचल पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤ˆ कà¥à¤› लोग बोले - मà¥à¤¹à¤£ मà¥à¤¹à¤£, काही तरी मà¥à¤¹à¤£, महाराज गेले पड़गाहन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से अनजान । चौके वाले बोले - मी का मà¥à¤¹à¤£à¥‚ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€ सांगा, मला काही येत र नाहीं वे अपनी मराठी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में बोल रहे थे हम महाराज को कैसे पड़गाहें हमें कà¥à¤› आता नहीं।
कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने लगाया à¤à¤• चकà¥à¤•र, पà¥à¤¨à¤ƒ लौटे परनà¥à¤¤à¥ किसी को पड़गाहन की विधि पता ही नहीं, फिर कà¥à¤¯à¤¾, कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी वापस चल दिये मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की ओर, पर ये कà¥à¤¯à¤¾ सारे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• दौड़ पड़े कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी की ओर और घेर लिया कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी को तथा जोर-जोर से रो पड़े |बोले महाराज! आमà¥à¤¹à¤¾à¤²à¤¾ काही समà¤à¤¤ नाहीं, आमचे दोष माफ करा, मला कà¥à¤·à¤®à¤¾ करा, जर तà¥à¤®à¤šà¤¾ उपवास à¤à¤¾à¤²à¤¾ तर सगळेच शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• उपवास करतील।
सरल हृदयी कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का मन कà¥à¤› पिघला, उनकी सरलता वे à¤à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤¾ को देखे और पà¥à¤¨à¤ƒ à¤à¤• राउणà¥à¤¡ लिया, तो कà¥à¤¯à¤¾ देखा-à¤à¤• महिला हाथ में शà¥à¤°à¥€à¤«à¤² लेकर आयी बोली महाराज इचà¥à¤›à¤¾à¤®à¤¿, à¤à¥‹à¤œà¤¨ शाळेत चला आहार गà¥à¤°à¤¹à¤£ करा फिर कà¥à¤¯à¤¾ था कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी तà¥à¤°à¤‚त उससे पडग गये, कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का पड़गाहन होते ही सà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•ों में आनंद की लहर दौड़ गई। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ बà¥à¤²à¤µà¤¾à¤ˆ और हाथ के इशारे से देते जाते थे सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ ताकि वे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• घबरायें न। अब नंबर था थाली दिखाने का, वे à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• हणà¥à¤¡à¥‡ के हणà¥à¤¡à¥‡ उठाकर ले आये, दिखाया गया दाल का हणà¥à¤¡à¤¾, कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी मन में मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡, फिर कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ à¤à¤¾à¤¤ व रोटी दिखाई गई। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने उनकी सरलता को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ जैसा आहार दिया वैसा ही समता व पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया, आहार निरà¥à¤µà¤¿à¤˜à¥à¤¨ संपनà¥à¤¨ हो गया, सà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•ों के चेहरे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ से खिल गये। आज की इस समसà¥à¤¯à¤¾ से कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤, मन में सोचा - à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर अवशà¥à¤¯ रà¥à¤•ना चाहिठतथा समà¥à¤¯à¤•ॠपà¥à¤°à¤•ार से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ देना चाहिà¤, फिर कà¥à¤¯à¤¾ था कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• ने पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकी ककà¥à¤·à¤¾à¤à¤, शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•ों पर आवशà¥à¤¯à¤• करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की उस ककà¥à¤·à¤¾ का इतना अधिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा कि समाज के अबला वृदà¥à¤§ सà¤à¥€ जन कà¥à¤› ही दिनों में आहार, पूजन, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि में पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ निषà¥à¤£à¤¾à¤¤ हो गये। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने अपने कषà¥à¤Ÿ व असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ की परवाह न करते हà¥à¤ लोगों में धरà¥à¤® धारा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ की उनमें समà¥à¤¯à¤—à¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की जà¥à¤¯à¥‹à¤¤ जलाई। à¤à¤²à¤• मिली गà¥à¤°à¥à¤µà¤° की कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• अवसà¥à¤¥à¤¾ में निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¤£à¤¤à¤¾ की।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )