आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ 108 आदिसागर जी महाराज (अंकलीकर)
आचारà¥à¤¯ आदि सागर जी महाराज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ यà¥à¤— के à¤à¤• बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संत है । 2600 साल पहले महावीर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के निरà¥à¤µà¤¾à¤£ के बाद १३०० साल तक दिग. मà¥à¤¨à¤¿ परंपरा निरà¥à¤¬à¤¾à¤§ रूप से चलती रही परनà¥à¤¤à¥ उसके बाद मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हमले और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के शासन काल में यह लगà¤à¤— गायब सी हो गयी । जैन धरà¥à¤® में संतो की पूजा का बहà¥à¤¤ महतà¥à¤¤à¥à¤µ है । आचारà¥à¤¯ आदि सागर महाराज जी ने 19 वीं सदी में दिगमà¥à¤¬à¤° संतों की परंपरा को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ किया और इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को आगे बढाया ।
संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ परिचय
पूरà¥à¤µ नाम : शà¥à¤°à¥€ शिवगौडा पाटील
जनà¥à¤® तिथि: à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ सà¥à¤¦à¥€ 4 , विकà¥à¤°à¤® संवत 1923
जनà¥à¤® दिनांक: सन 1866
दिन : गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤°
जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ : अंकली (महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°)
जनà¥à¤® का नाम : शिवगौंडा पाटिल
माता का नाम : अकà¥à¤•à¤¾ बाई
पिता का नाम : सिदà¥à¤§à¤—ौंडा पाटिल
मà¥à¤¨à¤¿ दीकà¥à¤·à¤¾ तिथि: मारà¥à¤—शीरà¥à¤· सà¥à¤¦à¥€ 2 , वि. स. 1970
मà¥à¤¨à¤¿ दीकà¥à¤·à¤¾ दिनांक: सन 1913
मà¥à¤¨à¤¿ दीकà¥à¤·à¤¾ सà¥à¤¥à¤² : कà¥à¤¨à¥à¤¥à¤²à¤—िरी
आचारà¥à¤¯ पद तिथि: जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¦à¥€ शà¥à¤•à¥à¤² , विकà¥à¤°à¤® संवत 1972
आचारà¥à¤¯ पद दिनांक: सन 1915
आचारà¥à¤¯ पद सà¥à¤¥à¤² : जयसिंहपà¥à¤° ( महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°)
समाधी तिथि: फालà¥à¤—à¥à¤¨ वदी 13 , विकà¥à¤°à¤® संवत 2001
समाधी दिनांक: सन 1944
समाधी सà¥à¤¥à¤² : उदगांव (कà¥à¤‚जवान )
विशेषताà¤à¤
- वे 7 दिन में 1 बार आहार करते थे और बाकी समय जंगल में तपसà¥à¤¯à¤¾ करते थे ।
- वह अपने आहार में केवल 1 ही चीज (अगर आम का रस लेते थे तो केवल आम का रस ही लिया करते थे और कà¥à¤› नहीं) लेते थे ।
- वे गà¥à¤«à¤¾à¤“ं में तपसà¥à¤¯à¤¾ करते थे ।
- 1 बार तपसà¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ उनके सामने 1 शेर आ गया था, कà¥à¤› समय बाद वो वापस चला गया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ परेशान नहीं किया ।
- आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ १०८ आदि सागर जी महाराज ने 32 मà¥à¤¨à¤¿ दीकà¥à¤·à¤¾ और 40 आरà¥à¤¯à¤¿à¤•à¤¾ दीकà¥à¤·à¤¾ देकर संघ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया। आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ महावीरकीरà¥à¤¤à¤¿ जी ,मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ नेमी सागर जी और मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ मलà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤¾à¤—र जी इनके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शिषà¥à¤¯ हà¥à¤ |
पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• उदà¥à¤§à¤°à¤£
- सतà¥à¤¯ अहिंसा जैन धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¾à¤£ हैं।
- समà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤µ पूरà¥à¤µà¤• संयम धारण करना होगा |
- समà¥à¤¯à¤—à¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ और चारितà¥à¤° à¤à¤• सिकà¥à¤•à¥‡ के दो पहलू हैं |
- मिथà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¤à¥€ अनà¥à¤·à¥à¤ ान संसारवरà¥à¤§à¤• होते हैं |
- समà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µà¤°à¤¹à¤¿à¤¤ संयम à¤à¥€ नरकादिक दà¥à¤°à¥à¤—ति से रकà¥à¤·à¤£ करता है |
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ 108 आदिसागर जी महाराज ( अंकलीकर )को बारमà¥à¤¬à¤¾à¤° नमोसà¥à¤¤à¥