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सिद्धान्तरत्न हे विमलकृति राष्ट्रसंत मुनीश्वरा
ViragVani
सुनो गावं वालो यह जाकर के कह दो नगर में दिगम्बर मुनि आ रहे है
सोया भाग्य जगाना है साथ गुरुवर का पाना है
स्वर्ण कमल बिछाये भक्तो की भावनाये
हर जन्म गुरु आप सा मिले गुरुवर विरागसागर