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जय करा गुरुदेव का जयकारा
ViragVani
जय जय जय गुरुराज तुम्हारी
जीवन में जिसका हमे था इंतज़ार आयी है रुत कर के श्रृंगार
जीवन यह बदला है गुरुवर से संभला है
जैन संतो की दुनिया दीवानी विराग सिंधु की सुन लो कहानी
जो भी उपमा देता हूँ सब उपमाएँ फीकी विराग सागर की छवि में आदिश्वर की छवि देखी
ज्ञान दिवाकर सदगुण आगर धर्म प्रभाकर
दे कर के मुस्कान अपनी सबके दर्द मिटते गुरु विराग सागर
देखो मेरे प्यारे गुरुवर कितने पीड़ा सहते है इनकी तपस्या के आगे तो सूरज चाँद भी झुकते है
द्रोणगिरि में सूरज था चमका
धरती पे आज देखो किसी यह उमंग है
निवेदन को स्वीकारो मेरे चौके पधारो