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विराग सागर गुरु की महिमा भारी दूर दूर से आये है नरनारी
ViragVani
मेरे गुरुवर मै तेरे शरण में जो आया मै आया
तेरे हाथ में मेरी नैया गुरुवर के रोज पड़ते पया
ढम ढम ढोल बजे
गुरुवर विराग थारे चरणा में आया
अपने चरणों में जगह दो गुरुवर
आज भाग्य साँवरे आरती उतारे गुरु विराग सागर की
आया है जो शरण लेकर के शोध मन
आये दूर से गुरु जी चल के
आये है गुरुवर आज मेरे घर आयी है खुशियां स्वर्ग से चलकर
आशीष दो गुरुवर जाएँ ना अब घर
ऊँगली पकड़ के मेरी पथ पे चला रहे है