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संगम पर संगम पूर्णयो का मेला लगा
ViragVani
मेरे बाबा
सुख करता
ढोल बजा रंग जमा
मन मेरा गा रे भजन
एक और गुरुवर एक और भगवान बोलो पहले किसको करोगे तुम प्रणाम
गुरुवर विराग सिंधु का गुणगान करो रे
ढम ढम ढोल बजे
नाचो रे गाओ रे
आगे आगे है गुरुवर पीछे पावना यह संघ
गुरु निज में मग्न भक्त पकडे चरण
धड़कन में बसती है गुरुवर की यादें