Developed by:
पिच्छी संयम की निशानी
ViragVani
गुरुवर भाग्य जगा दो रे , पिच्छी सिर पे लगा दो रे
पिच्छी रे पिच्छी रे छाँव सुहानी है भाया पिच्छी ही तो जग में कल्याणी है भाया