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आचार्य आदिसागर को नमन गुरु परंपरा के प्रथम
ViragVani
पूज्य गुरुवर मेरे महावीरकीर्ति जी
महावीर कीर्ति गुरु को हम नित शीश झुकाते है
मिला हमको जीवन गुरु तुमको पाकर
तपस्वीसम्राट आचार्य सन्मताष्टक
बसा है मेरे रोम-रोम में जिनका पावन नाम
सिद्धांत रत्न हे विमलकीर्ति राष्ट्रसंत
आचार्य विमल सागर चले आओ फिर से